Thursday, October 8, 2009

हर पल ....................

हर लम्हा अपना , हर लम्हा सच्चा
हर बात इतनी प्यारी जैसे कोई छोटा सा बच्चा
हर एहसास ,एक नया आघाज़
हर हसी मेरी अधूरी आवाज़
हर घड़ी एक नई शरारत
हर लम्हा वही तुम्हारी मुस्कराहट
हर वाकया तुमसे ही जुड़ा है
हर पल जाने कैसे इतना नया है?
हर तस्वीर नई कहाह्नी है
हर पिछली बात अब काफी पुरानी है
हर खुशी अब पाई है
हर हसी अब खिलखिलाई है
हर समय तुम याद आते हो
हर बार दिल को अकेला छोड़ जाते हो
हर मुस्कराहट है अब एक ख्वाइश
हर नख़रा एक नई फरमाइश
हर लडाई एक नई अंगडाई
हर बात मुझे तुम्हारे पास ले आई
हर मुलाकात एक कहानी होगी
अब कहो ,क्या मुझे अपना दिल दोगी?






so i think that it has sunk already enough
lets c wen it again wants to go even deeper
up till den b bye

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